आता है हर रोज़ इक नौजवान
खेलने इस शरीर से
जाता है हर कोई जीतकर
अपने हिसाब से !
आया नहीं आज तक
ऐसा कोई जवान
छुआ हो जिसने कभी
मेरे मर्म को !
आता है हर कोई यहाँ
रुपयों के बल पर
आया नहीं कभी
कोई बनकर मर्द
जिसने खेलने के पहले
या फिर बाद ही में
पूछ ली हो
खेलने इस शरीर से
जाता है हर कोई जीतकर
अपने हिसाब से !
आया नहीं आज तक
ऐसा कोई जवान
छुआ हो जिसने कभी
मेरे मर्म को !
आता है हर कोई यहाँ
रुपयों के बल पर
आया नहीं कभी
कोई बनकर मर्द
जिसने खेलने के पहले
या फिर बाद ही में
पूछ ली हो
इस मैदान की हालत !
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